कुछ अल्फ़ाज़ मेरे कुछ एहसास तेरे कुछ ख्वाब मेरे कुछ जाज़बत तेरे! कुछ अल्फ़ाज़ मेरे कुछ एहसास तेरे कुछ ख्वाब मेरे कुछ जाज़बत तेरे!
खुद से खुद को जीना सीखाना... क्य़ा आसां है.... खुद से खुद को जीना सीखाना... क्य़ा आसां है....
रच जाती है पूरी किताब दास्ताँ-ए-ज़िंदगी की, कि जज़्बात की ग़ज़ल से हर सफ़ा भर जाते हैं। रच जाती है पूरी किताब दास्ताँ-ए-ज़िंदगी की, कि जज़्बात की ग़ज़ल से हर सफ़ा भर जा...