जून की भयंकर गर्मी में, पत्थर तोड़ रही थी नारी, चेहरे पर ना कोई शिकन! जून की भयंकर गर्मी में, पत्थर तोड़ रही थी नारी, चेहरे पर ना कोई शिकन!