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Mahavir Uttranchali

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Mahavir Uttranchali

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होली त्यौहार पर तीन कुण्डलियाँ

होली त्यौहार पर तीन कुण्डलियाँ

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मस्ती का त्यौहार


मस्ती का त्यौहार है, खिली बसंत बहार

फूलों की मकरंद से, सब पर चढ़ा ख़ुमार

सब पर चढ़ा ख़ुमार, आज है यारो होली

सब गाएँ मधुमास, मित्रगण करें ठिठोली

महावीर कविराय, ख़ुशी तो दिल में बस्ती

निरोग जीवन हेतु, लाभदायक है मस्ती


तोड़ी कच्ची आमियाँ


तोड़ी कच्ची आमियाँ, चटनी लई बनाय

चटकारे ले तोहरा, प्रेमी-प्रीतम खाय

प्रेमी-प्रीतम खाय, सखी सुन-सुन मुस्काती

और कहूँ क्या तोय, लाज से मैं मर जाती

महावीर कविराय, राम बनाय हर जोड़ी

क्यों इतनी स्वादिष्ट, आमियाँ तूने तोड़ी


रंगों का त्यौहार है


रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर

प्रेम रंग गहरा चढ़े, उतरे न महावीर

उतरे न महावीर, सजन मारे पिचकारी

सजनी लिए गुलाल, खड़ी कब से बेचारी

प्रेम रंग के बीच, खेल चले उमंगों का

जग में ऐसा पर्व, नहीं दूजा रंगों का



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