होगा कुछ काम! ऐसा सब समझते हैं
होगा कुछ काम! ऐसा सब समझते हैं
1 min
378
जब नहीं भेजता था मैं तार उन्हें
मुझे अभिमानी सब समझते थे,
किया है जब से शुरू हाल चाल लेना
होगा कुछ काम? ऐसा सब समझते हैं!
अब तक गुज़ार ली है मैंने
आगे भी कट जाएगी,
पर अब आया ऊंठ पहाड़ के नीचे
ऐसा सब समझते हैं!
हृदय मेरा भावविभोर;
मस्तिष्क होने से रोक रहा,
मैं कहां हूं परेशान?
ऐसा सब समझते हैं!
किया है जब से शुरू हाल चाल लेना
होगा कुछ काम? ऐसा सब समझते हैं!
