हिन्दी मेरी भाषा है
हिन्दी मेरी भाषा है
हिन्दी मेरी भाषा है
जीवन की अभिलाषा है
हिन्दी मेरी भाषा है
गीतों को संवारा हैं
गजलों को तराशा हैं
कहीं खुशियों का खजाना हैं
कहीं दर्द में दिलासा है..
हिन्दी मेरी भाषा है….
हिन्दी से पहचान है मेरी
सच पूछो, अभिमान है मेरी
भावों की अभिव्यक्ति हैं
शब्दों की ये शक्ति हैं
हिन्दी मेरी माता है
मेरी भाग्य विधाता है
हिन्दी का मैं सेवक हूँ
अदना सा एक लेखक हूँ
हिन्दी का जयगान करूँगा
हिन्दी का गुणगान करूँगा
हिन्दी के चरणों में रहकर
खुद का मैं उत्थान करूँगा
हिन्दी को करूँगा वंदन
लिखूंगा जन-जन का क्रंदन
देती पीड़ा को ये भाषा है
प्रगति की परिभाषा है…
हिन्दी मेरी भाषा है…..
हिन्दी हॄदय को छूती है
इसमें सारी खूबी है
भाषा है ये ज्ञान की
भारत के पहचान की
हिन्दी का मस्तक ऊँचा है
हिन्दी की होती पूजा है
तुलसी का तप हिन्दी है
जयशंकर का जप हिन्दी है
साहित्य की ये जननी है
इसकी सेवा करनी है
हिन्दी को जो हीन समझता
समझो खुद को दीन समझता
भाषा नहीं संस्कार है
हम पर बड़ा उपकार है
सर्वत्र घोर निराशा है
हिन्दी से ही बस आशा है…
हिन्दी मेरी भाषा है…..
