हिमवंत प्रदेश में वसंत ऋतु
हिमवंत प्रदेश में वसंत ऋतु
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जागा सौरभ, मूर्तमान हो इधर-उधर फिरता अशरीर
चमक उठी फिर वनस्पती, कौशिक* का पहने हुए चीर
बहता फिर, फर-फर कर सुंदर, हिमनद की सरिता का नीर
चमक उठा आकाश-अधर, परछाईं में जलगत, सशरीर
भारद्वाज पक्षी किलोलें करते, सारस, चक्रवाक
सिहर-सहम उठ खड़े हुए, हिममय पौधों के पात-गात
छिड़क रहा है उधर क्षितिज पर जावक कण* वह रश्मि-रथी
पूरा प्रान्त ढाक के वन से, आच्छादित है हिमनद का
लोध्र, असन, किंजल, काफल से घाटी के कलिवन्त ढँके
गिर, पलाश, पुन्नाग, खदिर के फूलों से हैं वृक्ष लदे।
क्रमशः
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टिप्पणियां
*कौशिक - रेशमी वस्त्र
*जावक कण - सिंदूर
