हिडिम्बा
हिडिम्बा
रंग रूप चाल- ढाल
से करती सबको अचंभित
मैं हूँ एक राक्षसी
हिडिंब की बहन हूँ हिडिंबा नामित
जंगल की मैं रानी
करती अपनी मन मानी
मीठी मेरी बाणी
और वही करती जो थानी
कभी दिखती डरावनी
तो कभी लुभावनी
रूप बदलकर
बन सकती हूँ
सुंदर से भयंकर
पशु पक्षी, पेड़ पौधें
सब मानते मेरा कहना
अपने राक्षस भाई
की थी मैं प्यारी बहना
बड़े भाई के आदेश पर
गयी करने पांडव भीम का वध
परंतु देख उनकी छवि न्यारी
उनके प्रेम में बिलकुल गयी बंध
जंगल के राक्षस को मार गिराया
क्योंकि बहुत बलशाली थी मेरी काया
पांडवों का करा सहयोग
इस लिए भीम से बना विवाह का संजोग
घटोत्कच था मेरा पुत्र
जो महाभारत
में पाण्डव सेना का
बना शक्तिशाली अस्त्र
भीमताल में स्तिथ हैं
मेरा नामक पर्वत
कुल्लू में हैं मेरा मंदिर
जो दिखता हैं खूबसूरत
हर साल दशहरा में
निकलता मेरा रथ
आगे आगे मैं चलूँ
पीछे पीछे रघुनाथ
जन्म से थी मैं राक्षस
अपने कार्य से बनी रक्षक
तपस्या कर मिला मुझे
देवी का स्वरूप
इससे यह सीखते हैं
कि मेहनत का फल
होता हैं अनूप।
