जादुई पेंसिल
जादुई पेंसिल
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मुझे मिली एक पेन्सिल
जो बिल्कुल नहीं आम
इक बॉटल मैं बंद पड़ी मिली
जब मैं गया जापान
तेज़ी से मैं लिख पाता
और परीक्षा मैं कभी नहीं घबराता
जब चक-चक बोलता
तो छोटी पेन्सल फिर बड़ी हो जाती
पृष्ट पर लिखी कोई गलती
मेरी पेन्सल अपने आप मिटाती
कोई भी सवाल का देता जवाब
रंग बदल बदल कर लेखन को
रंगीन बना देती
जो मैं चाहता, मैं हवा मैं लिखता
और मेरी जादुई पेन्सल
मेरी इच्छा पूरी कर देती
यह कमाल की पेन्सल मेरी
बिना टूटे लिख डाली
एक कविता कि किताब
इस पेन्सल के हैं कई गुण
और बहुत सारे लाभ
सच मैं लाजवाब
यह थी कहानी
मेरी ज़ुबानी
जब मिली मुझे यह जादुई पेन्सल
इसे पाकर ख़ुशी से
खिल गया मेरा दिल।
