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Nitin Kumar

Others

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Nitin Kumar

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हद से गुज़र के.

हद से गुज़र के.

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हद से गुज़र के देखो कभी,
मोहब्बत कर के देखो कभी.

हमारा शहर तुमको अपना लगेगा,
एक रात ठहर के देखो कभी.

पहले से ज़्यादा भर गई हो तुम,
बल अपनी कमर के देखो कभी.

कितने सूने लगते हैं बाद तुम्हारे,
दीवार ओ दर घर के देखो कभी.


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