गुरू बिन अज्ञान
गुरू बिन अज्ञान
गुरु मुझे ले लो अपनी शरण में,
भक्त गुरू मैं तेरा बन जाऊँगा।
गुरू तेरे ज्ञान बिन अधूरा रह गया मैं,
तेरी छत्र छाया के नीचे आ जाऊँगा।
गुरू कर दो मुझे अपने ज्ञान से पुलकित,
मुझे मेरे जीवन की राह मिल जाएगी।
मुझे काँटों की राह से उतार कर,
मख़मल की राह पर चला दो गुरू जी।
आज मैं अज्ञानता की भीड़ में फंस गया,
अज्ञानता की भीड़ से निकाल दो गुरू जी।
गुरू तेरे बिन जीवन अधूरा रह ही जाएगा मेरा,
ज्ञान की ज्योति जला जीवन को पूर्ण कर दो गुरू जी।
आप तो चलाते हो ज्ञान का भंडारा,
सबको पंगत में बैठा कर ज्ञान बाँटते हो गुरू जी।
तुम मुझे नई दिशा पर चला कर,
नया मानव बना दो मुझे गुरू जी।
मेरे चेहरे से अज्ञानता का नक़ाब उतार,
नए ज्ञान का नक़ाब चढ़ा दो गुरू जी।
आपके बिना डगर नहीं है हमारी,
समाज का निर्माण करने में है भूमिका तुम्हारी।
