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NISHANT KUMAR

Others

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NISHANT KUMAR

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गरीब इंसान की दुख भरी जिंदगी

गरीब इंसान की दुख भरी जिंदगी

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उनको उन दशा मे देखकर

हमे बहुत दुख होता है

उनकी ये दशा देखकर

रोने को दिल होता है 

वो बेसहारा बच्चे बेचारे

जिनके माता पिता नहीं है

वो ठोकर खाते मासूम बेचारे

उनकी जिंदगी मे सुख नहीं है

वो दर दर भटकते लोग बेचारे

जिनके पास पहने के कपड़े नहीं

वो दिल से हर दुख सहन करने वाले

जिनके पास रहने को छत नहीं

जरा देखे उन भूखो मासूमों को

जिनके पास खाने को खाना नहीं

उनके प्यास तड़पते लोगो को 

जिनके पास पीने को पानी नहीं

हर किसी का जीवन सही नहीं है

किसी की जिंदगी मे सुख नहीं है

हम तो बड़े भाग्यशाली है पर

उनके जीवन मे खुशियां नहीं है

उनके लिए जीवन बिताना भी

लोहे के अंगारों पर चलने से बडकर है

एक दिन की रोटी के लिए मेहनत भी

लोहे के चने चबाने से बडकर है

हम लोग तो आसानी से जीते है 

हमारे पास गरीबी नहीं है

वो लोग बेचारे घुट घुट कर जीते है

तो क्या वो लोग इंसान नहीं है

इंसानी जिंदगी बहुत सुनहरी है

इसे जीने मे कोई बवाल नहीं है

हर कोई एक सम्मान कहलाते है

क्योंकि इंसानी जिंदगी मज़ाक नहींं है

हमे तो अपनो से मतलब होता है

हमे किसी को अहम नहीं मानते

हम इतने पत्थर दिल इंसान है क्योंकि

हम गरीबों को इंसान नहीं मानते

हम सब सिर्फ पैसों के पीछे भागते हैं

क्योंकि पैसों से उनकी जिंदगी बनती है

वो लोग जी जान लगाकर सुखी रहते

लेकिन उनकी जिंदगी को नर्क बनती है

जो सब्जी वाले जो अपनी सब्जी

सही से सही दामों मे बेचते हैं

वो छोटी छोटी दुकानों वाले

जो अपना सामान सही भाव मे देते हैं

याद रखना एक जरूरी बात हमेशा

हर कोई एक जैसा ही होता है

चाहे वो जितना भी अमीर हो

असल मे वो साधारण इंसान होता है

कबीर दास जी सही कहते है इंसान

का पांच अंगो का होता है 

इसकी कोई जाति नहींं होती पर

आज कल तो ऊंच नीच होता है।



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