गौरव दिवस
गौरव दिवस
देश धार्मिक अपमान के दौर में जी रहा था
अपने आराध्य के लिए संघर्ष कर रहा था
न्यायालयों के चक्कर लगाते थक गये थे
अन्याय के हाथों न्याय सिसक रहा था ।
कहने को तो आजादी मिल गई थी
मगर पैरों में गुलामी की बेड़ियां पड़ी थी
धर्मनिरपेक्षता के झूठे आवरण के पीछे
सनातन संस्कृति औंधे मुंह दबी पड़ी थी
राम मंदिर आंदोलन ने चेतना का संचार किया
राम शिलाओं ने उत्तर दक्षिण एकाकार किया
तुष्टिकरण के पैरोकारों ने वोटों की खातिर
राम भक्तों पर अनगिनत जुल्म अत्याचार किया
आखिर सब्र की भी कोई सीमा होती है
ज्यादा दबाने से विरोध की आंधी खड़ी होती है
जब जन सैलाब पैदल चलकर उमड़ने लगा
तो कमजोर आदमी की भी हिम्मत तगड़ी होती है
जनता का आक्रोश फूटने लगा
बरसों से दबा लावा खौलने लगा
धर्मनिरपेक्षता का जाली खंडहर
कारसेवकों के हाथों टूटने लगा
न्यायालय को भी बात समझ में आ गई
न्याय को टालने की भी एक सीमा है भाई
आखिर हम सबकी मेहनत, दुआ रंग लाई
और सत्य की जीत हुई असत्य ने पराजय पाई
आज वही गौरव दिवस मनायेंगे हम
एक भव्य मंदिर वहां बनवायेंगे हम
सनातन संस्कृति का वो खोया सम्मान
अयोध्या के माध्यम से पुनः दिलवायेंगे हम
गौरव दिवस पर सभी सनातनियों को हार्दिक बधाई ।
