एक सवाल ?
एक सवाल ?
कहने के लिए तो सब है मिला,
पर सवाल अभी भी वहीं
कब मिलेगा फैसला लेने का हक़,
कब मिलेगी जीने की आज़ादी?
वैसे तो हूँ मैं सबकी लाडली,
पर सवाल अभी भी वहीं
क्यों न चुनू शादी का सही उमर
न पहनू कपड़े जो लगे सही?
माता - पिता ने दिया सब
बच्चों को प्यार तो एक जैसा,
पर सवाल अभी भी वहीं
क्यों न माँ ने भाई को कभी टोका
न कभी उसे वक़्त की सीमा बताई?
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
का नारा तो सबने खूब लगाया,
पर सवाल अभी भी वहीं
महफूज़ है मेरे लिए इस शहर की
आज कौन सी गली?
कानून में लिखा है की रेप एक गुनाह है,
पर सवाल अभी भी वहीं
शरीर नोचने वाले पर नहीं
पर अपना सब कुछ खोने वाले
पर क्यों दुनिया ने उंगली उठाई?
ख़ुश नसीब रहूँगी मैं सबसे ज्यादा
जब बन सकूँ में हर जनम एक बेटी,
और जी सकूँ एक ऐसे जहान में
जहाँ न उठे मेरे मन में सवाल और कोई।
