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Pransu Gupta

Others

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Pransu Gupta

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एक ख्याल लिए बैठी हूं

एक ख्याल लिए बैठी हूं

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जो कुछ मिला उसकी खुशी बेहिसाब है

पर जो ना मिला उसका मलाल लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

पाने को तो सब कुछ पा लिया है

पर जो छूट गया उसका हिसाब लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

मालूम है कोई हरदम साथ नहीं रह सकता है

पर उनसे दूर उनके पास होने का एहसास लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

की ये जुदाई बरसों की नहीं है

कल उनसे फिर मिलूंगी यह आश लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

सब कुछ जान कर भी दर्द हो रहा है

आज मैं यह कैसे एहसासों का सैलाब लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

जुदा नहीं जो मुझसे कभी हो सकती हैं

ऐसी यादों का पूरा बाजार लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

बहुत कुछ कहना है

पर कोरे सारे अल्फाज लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

जानती हूं वो हर वक्त दिल में रहते हैं

मैं उनसे दूर नहीं पर फिर क्यों दूरी का एहसास लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज बेमतलब के ख्याल लिए बैठी हूं

कि मेरे ख्यालों में भी ख्याल उन्हीं का है

मैं अपने ख्यालों में भी एक ख्याल उनका लिए बैठी हूं

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के सवाल लिए बैठी हूँ

जाने क्यों मैं आज ये बेमतलब के सवाल लिए बैठी हूँ।



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