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Pransu Gupta

Others

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Pransu Gupta

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अब कोई बात नहीं

अब कोई बात नहीं

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चांद भी फीका है उजालो भरी कोई रात नहीं

गम भरी जिंदगी में खुशी वाली कोई बात नही


अब जो भी दर्द है सब सिमटा हुआ है सीने में

वो रो कर दर्द बयां करने वाली कोई बात नहीं 


देखो जिक्र हो रहा मेरा यहां सबकी जुबान में

पर जो दिल से करें फिक्र ऐसी कोई बात नहीं 


हर वक्त हर लम्हा रहता यह दर्द मेरे साथ में

हां अकेली हूं पर तन्हाई वाली कोई बात नहीं


बेशक खुद को खोकर डूबी रही मेरे ही गम में

बेचैन बहुत हूं अब सुकून वाली कोई बात नहीं


आए और आकर चले गए कई लोग जिंदगी में

यहां किसी में भी वो ठहराव वाली कोई बात नहीं


सबको बदलते देखा यहां इस छोटे से जहान में

बस वही एक बदल गया ऐसी कोई बात नहीं


अब लफ्ज़ मदहोश है खामोशियों में डूबने में

यहां किसी से कुछ बोलने वाली कोई बात नहीं 


मसरूफ हूं मैं भी हर एहसास को समेटने में

किसी को टूट कर चाहने वाली कोई बात नहीं


और जो है वो कुछ इस कदर समाया है मुझ में

की उसे बाहर कहीं ढूंढती फिरूं ऐसी बात नहीं


हर दर्द की दवा रखी है मैने छुपा के खुद में

किसी को दबा कह सकूं ऐसी कोई बात नहीं


चांद भी फीका है उजालो भरी कोई रात नहीं

गम भरी जिंदगी में खुशी वाली कोई बात नहीं



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