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Preeti Gupta

Others

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Preeti Gupta

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एक बूंद

एक बूंद

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दूर कहीं छुप कर बैठी नन्ही नन्ही बूंदें 

जब साथ मिलकर गिरती हैं,

मिट्टी में पड़ी दरारों को बड़े प्यार से भरती हैं।

कहीं दबे कहीं छुपे वो छोटे छोटे बीज

जब अपने ही जैसे पानी की बूंदों से मिलती हैं,

और फिर दोनों मिलकर एक नव सृजन करते हैं।

बारिश की बूंदों की खिलखिलाहट कई सहेलियों का भान कराती हैं,

लगता है सब मिलकर किसी रूठे को मनाने निकली है।

छन छन करती बूंदें जब खूब मस्ती में इठलाती है,

हवा से लड़ती, गिरती ,पड़ती पर धरती की प्यास बुझाती है। 


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