एक बात
एक बात
मैं तेरा ही गीत गाता हूं
मैं लिखता हूं,
मैं पढ़ता हूं
मैं तुझको गुनगुनाता हूं,
तू दुनिया को तो सुनती है कभी मुझको भी सुन लिया कर
मैं तेरी यादों में कविता बनाता हूं,
मैं तुझको ही गुनगुनाता हूं।
मैं नहीं कहता कि हर लम्ह तू मेरे साथ रहा कर
अगर मिल जाए कभी फुर्सत तो मिलना ही आ जाया कर
तेरे बिन ली साँसो का मैं कर्जदार हो जाता हूं,
तू दुनिया को तो सुनती है कभी मुझको भी सुन लिया कर
मैं तेरा ही गीत गाता हूं,
मैं तुझको गुनगुनाता हूं।
जिस पल तुझसे मिलता नहीं उलझन सी होती है
ना जाने ये यादें तेरी इतनी बेदर्द क्यों होती है?
तेरी यादों में मेरी आंखें दिन रात रोती है,
तू दुनिया को तो सुनती है कभी मुझको भी सुन लिया कर
मैं तेरा गीत गाता हूं,
मैं तुझको ही गुनगुनाता हूं।
तेरे आये बिन तेरी यादें जब जब आती है अल्फाज़ अधूरे रह जाते है
जिस लम्हा मिलते है हम वक़्त देख कर कुछ बात अधूरे रह जाते है,
तू दुनिया को तो सुनती है कभी मुझको भी सुन लिया कर
मैं तेरा ही गीत गाता हूं,
मैं तुझको ही गुनगुनाता हूं।
तू जब साथ होती है ना तो कुछ जादा खास नहीं होता;
तेरे बिन बिताए हर लम्हा में मेरा ये दिल मेरे ही पास नहीं होता,
तू जब आ जाती है साथ में मेरे तो सब कुछ पूरा सा लगता है
वरना ये यारा तेरे बिन ये प्रखर बिल्कुल अधूरा सा लगता है ।
तू दुनिया को तो सुनती है कभी मुझको भी सुन लिया कर
मैं तेरा गीत गाता हूं,
मैं लिखता हूं,
मैं पढ़ता हूं
मैं तुझको ही गुनगुनाता हूं......... ।।
