ए मुसाफिर
ए मुसाफिर
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कितनी है हर पल, ए मुसाफिर,
जिंदगी की हलचल, ए मुसाफिर
ये प्यास फिर मय और फिर तू
बस हम हाेते जलजल, ए मुसाफिर
भीतर है सब में भगवान का रुप
बता तू काैन है निर्बल ए मुसाफिर।