जनता का दर्द
जनता का दर्द
भाइयों और बहनों, हमारे देश को आजाद हुए 70 साल हो गए हैं,
लेकिन क्या हम या आप दिमाग से दिल से आजाद हैं?
हो सकता है कि हमारा देश आर्थिक रूप से प्रगतिशील हो रहा हो
लेकिन मानसिक रूप से हम अभी भी वहीं हैं।
हम आज भी देश को सामाजिक-धार्मिक संकीर्णता की स्थिति में ले जा रहे है।
हमारे ही भ्रष्ट नेता गरीब जनता को गरीबी में पीस रहे हैं,
बार-बार विदेश यात्राएं कर रहे हैं, बार-बार चुनाव कर रहे हैं,
बार-बार दंगे और साम्प्रदायिक आग लगा रहे हैं,
इन भ्रष्ट नेताओं को जनता की कोई परवाह नहीं है।
आज भी शहरों की गलीयों में डाेन गुंडे आजाद घूम रहे हैं
इस भ्रष्ट नेताओं की बदौलत ।
बस ये नेता लाेग चाहते हे ये जनता महंगाई
तले दबती रहे ओर हम मनमानी करते रहे।