दीवाली की छुट्टियाँ
दीवाली की छुट्टियाँ
दीवाली का त्योहार आते से ही
सबके चेहरे खिल जाते है।
अपना बोरिया बिस्तर बांधकर
सब छुट्टियाँ मनाने जाते है।
पर कुछ लोग ऐसे भी होते है,
जो पीछे रह जाते है।
काम और ज़िम्मेदारियों के बोझ तले,
वो अपने घर नहीं जा पाते है।
दीवाली पे सब सेल्फीज़ खिंचा करते है।
पर कुछ लोग, अपने मोबाइल,
लॅपटॉप या एलबम्स में, अपनी पुरानी
तस्वीरें देखा करते है।
कोई प्यार जताने वाला हो,
तो चेहरे पे मुस्कुराहट आ जाती है।
पर अगर कोई अपना हमसे दूर हो,
तो आँखें नम हो जाती है।
दीवाली पर चारों और जगमगाते दीये
और रौशनी से घिरे रहते है लोग।
पर कुछ लोग ऐसे भी होते है,
जो एक दीया जला कर भी खुश हो जाते है।
बम पटाखे जला कर कुछ मिनटों की
खुशी तो लोग पा लेते है।
पर कुछ लोग ऐसे भी होते है,
जिनकी दर्द भरी चीखें, हम सुन नहीं पाते है।
दीवाली ख़ुशियों का त्योहार है, ये तो
सब ही कहते है।
पर हम अपनी खुशी का छोटा सा हिस्सा,
कुछ अकेले तन्हा लोगों में बाँटने से
क्यों हम कतराते है?
इन दीवाली की छुट्टियों में,
क्यों न हम ये ठान के चले
कोई इंसान मायूस या अकेला न रहे,
क्यों न एक दूजे का हाथ थाम कर चले....
