बहुत याद आता है मुझे
बहुत याद आता है मुझे
(एक बेटी के जज्बात बयाँ करने की कोशिश, जिसके पापा उसे छोटी सी उम्र में छोड़कर इस दुनिया से चले जाते हैं।)
पापा जब होते आप हमारे पास
फ़िक्र का होता न था कभी एहसास
सुकून तो जैसे आपका दूसरा नाम था
हमारा हठ करना, माँ का डाँटना
आपका उस हठ को पूरा करना
बहुत याद आता है मुझे...............
मेरा नींदो में रोना
अपने कन्धे पर थपकी देकर सुलाना
मेरी फ़िक्र में रात भर जागना
माँ से हमारी हर बात की खबर लेना
बहुत याद आता है मुझे.................
आपका न होना मानो यूॅं लगता हमें
जैसे बुजुर्गों के होते हुए भी
किसी सयाने का न होना
बच्चों मे बचपन का न होना
माँ के माथे पर गोल टिके का न होना
मेरी कविताओ मे लेखिका का न होना
घर में खिलखिलाती मुस्कुराहट का न होना
बहुत याद आता है मुझे.....................
भैया का जन्मदिन का होना
या दीदी की विदाई का होना
उस वक़्त आपको याद कर
माँ का चुपके से रोना
घर मे खुशियो के होते हुए भी
एक अज़ीब सा खालीपन होना
बहुत याद आता है मुझे.....................
आपका होना जैसे
एक सम्बल, एक कड़ी
एक आत्मविश्वास का था होना
मुसीबत में आपको याद कर आज भी
रात भर मेरा सुबक-सुबक कर रोना
बहुत याद आता है मुझे................