भारत के विभाजन की कहानी
भारत के विभाजन की कहानी
1 min
378
एक चाल चली थी अंग्रेज़ों ने
दो टुकड़े किए भारत के उन्होंने
एक टुकड़ा किया दो सरहदों का
दूजा किया दो मज़हबों का।
सरहदों को तो मोड़ दिया
नातों को दिलो के तोड़ दिया
दिल ज़ख़्मी किए
और ज़ख़्मी उनको छोड़ दिया।
एक हमने भी छेड़ी थी जंग
जब हम हुए थे गोरों से तंग
जंग तो जीती आज़ादी की
पर अब तक ना मिली हम को
आज़ादी।
क़ैद है हम धर्मों के बीच
दीवार है अब भी जात के बीच
इस धर्म के भेद भाव में हम
देते है एक दूजे को ज़ख्म
हम में है वो इंसान कहाँ
जो हम बने किसी का मरहम।
नेताओं की भी है खूब मिसाल
उनके भी अंग्रेज़ों से खयाल
उनके है अजब नेक इरादे
कुर्सी के लिए धर्मों को लड़ा दे।
गोरे आए फिर से तो शायद
हम उनका अंत करें
पर इन समाज भेदी कीड़ों को
जाने कौन शांत करें।