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भारत के विभाजन की कहानी

भारत के विभाजन की कहानी

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एक चाल चली थी अंग्रेज़ों ने

दो टुकड़े किए भारत के उन्होंने

एक टुकड़ा किया दो सरहदों का

दूजा किया दो मज़हबों का।


सरहदों को तो मोड़ दिया

नातों को दिलो के तोड़ दिया

दिल ज़ख़्मी किए

और ज़ख़्मी उनको छोड़ दिया।


एक हमने भी छेड़ी थी जंग

जब हम हुए थे गोरों से तंग

जंग तो जीती आज़ादी की

पर अब तक ना मिली हम को

आज़ादी।


क़ैद है हम धर्मों के बीच

दीवार है अब भी जात के बीच

इस धर्म के भेद भाव में हम

देते है एक दूजे को ज़ख्म

हम में है वो इंसान कहाँ

जो हम बने किसी का मरहम।


नेताओं की भी है खूब मिसाल

उनके भी अंग्रेज़ों से खयाल

उनके है अजब नेक इरादे

कुर्सी के लिए धर्मों को लड़ा दे।


गोरे आए फिर से तो शायद

हम उनका अंत करें

पर इन समाज भेदी कीड़ों को

जाने कौन शांत करें।



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