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krish krish

Children Stories Children

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भाई

भाई

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मां - बाबा से ऊपर मेरा भाई

कभी हंसाता कभी रुलाता

दुख में मेरा हाथ बंटाता

मां - बाबा की डांट से मुझे बचाता

और फिर मुझे डांट पढ़ाता

राक्षस की तरह था मेरा भाई

पर बनना चाहता डॉक्टर था

रहता वह दिल्ली में था

पर सपना पूरा करने जाना उसे तेलंगाना था

चल पड़ा अपने सफर पर

तब मुझे आया रोना था

तब मुझे पता चला

मेरा भाई राक्षस नहीं, सोना था

रोई थी मैं फूट-फूट के

पर चुप कराने वाला कोई नहीं था

क्योंकि उस वक्त मेरे भाई मेरे पास नहीं था

लगता है घर सूना - सूना

क्योंकि मुझे परेशान करने वाला कोई नहीं था

मेरा भाई राक्षस नहीं, सोना था



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