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Ramavtar Saini

Others

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Ramavtar Saini

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बचपन

बचपन

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किसी ने हँसकर

गुज़ार दिया बचपन 

किसी को हँसी 

ही नसीब ना हुई।


और किसी ख़ग को 

हर रोज़ मिलता चुगा,

किसी को पूरे दिन 

कुछ न मिला।


किसी को रोते ही माँ का आँचल

नसीब हुआ 

किसी को पराया आँचल भी 

नसीब ना हुआ।।



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