बच्चों का कोरे कागज जैसा मन
बच्चों का कोरे कागज जैसा मन
प्रस्तावना
बच्चे तो कोरा कागज जैसे होते हैं उनके ऊपर जो चाहे वह लिख दो। अगर वह बचपन में झूठचोरी जैसी गलतियां करते हैं और हम गलतियों को नजर अंदाज कर देते हैं तो वही गलती वह बार-बार करते हैं।
और बड़े गुनहगार बन जाते हैं।क्योंकि उनके कोरे मन पर यह लिख दिया गया है कि चोरी गलत नहीं है वे कर रहे हैं जो सब सही है तो वह बढ़ता ही रहता है।
इसी तरह नशा करने वाले सिगरेट पीने वाले गुनाह करने वाले सब जब पहली बार करते हैं तब कोई उन्हें रोकना नहीं है तो वह बढ़ता रहता है।
जब आंखें खुलती है तो देर हो जाती है। बालक के कोरे कागज जैसे मन पर जो लिख दिया जाता है उसी की छाप छप जाती है और वह जिंदगी में वही करने लगता है क्योंकि उसे वह गलत नहीं लगता।
सुनो सुनाएं एक कहानी
मेरी नानी कहती थी।
ना जाने यह लिखी थी किसने पर बहुत सीख यह देती थी।
एक था राजा , एक था चोर।
पकड़ा गया एक दिन वह चोर।
जब सजा सुनाने की बारी आई ।
चोर की भी हुई सुनवाई।
राजा को चोर ने अपनी ख्वाहिश है बताई।
एक बार मेरी मां को बुला दो मेरे पास, यह बात है बताई।
राजा ने उसकी मां को बुलाया।
और चोर से बात करने उसको भिजवाया।
चोर ने बोला बात मैं आपको कान में बताऊंगा।
जैसे ही मां ने कान उसके पास दिया।
चोर ने जोर से उसके कान को काट दिया।
और बोला जब मैंने करी थी पहली चोरी ।
मेरी थी वह पहली गलती। अगर उस समय तूने मुझे रोक दिया होता।
तो आज मैं यहां फांसी के लिए न
लटका होता।
तेरी एक गलती ने दिया है मुझे बढ़ावा।
और देख आज यह दिन आया।
और मुझे मृत्युदंड है सुनाया।
मां को भी अपनी गलती समझ में आई।
मगर अब पछताने से क्या हो जब चिड़िया चुग गई। खेत
और बाजी हाथ से गई निकल।
जो कल तक था छोटा चोर। बन गया वह मोटा चोर।
राज महल में चोरी कर गया।
और उसकी सजा है पा गया।
और मां को जिंदगी भर का पाठ पढ़ा गया।
देती है यह सीख कहानी।
पहली गलती पर टोको बच्चों को।
ताकि वह आगे और बड़ी गलती ना कर पाए।
और समाज में अच्छे इंसान बन के नाम कमाए।
यह सीख भरी कहानी सुनाती थी हमको नानी
आज गलती विषय पर हमको यह याद आ गई।
और हमने नानी को याद कर आपको यह कहानी सुना दी।
अनजान लेखक की कहानी मेरी जुबानी।
