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KAVY KUSUM SAHITYA

Others

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KAVY KUSUM SAHITYA

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औरत

औरत

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नारी है जग जननी है लक्ष्मी 

जन जन जीवन की संगिनी ।।       

बहना है भाई की ताकत

इज़्ज़त का गहना है ।।              


तू ब्रह्माण्ड के निर्माण की आधार

बिन नारी मिथ्या कल्पना संसार।।                


नारी निरंतर प्रवाह से नस्वर संसार

गर नारी नहीं तो सिर्फ स्वर संसार।।                


नारी जग की साहस है, शक्ति है

त्याग तपस्या बलिदान की दुनिया में

चिराग मशाल मिसाल।।     


बेटी है नाज़ों की संस्कृति है

संस्कारों की वीरों की बहना हैं

जननी है जाबांजों की।।     


कभी गार्गी, विद्योत्तमा, अनसुईया, सीता

सावित्री कभी इंदिरा कल्पना दुर्गा

झांसी की लक्ष्मी बाई है।।    


मेहनत कश मजदूर दूध मुहे खुद के

बच्चे को पीठ पर बांधे तोड़ती पत्थर

या बाबूजी सेठ महाजन की मजदूरी

कर परिवार समाज का पेट पालती।।          


लाखों रोज जलालत सहती बेशर्मी

तानों के घावों से घायल उफ़ तक

नहीं करती ।।       


तन पर फटे मैले और कुचैले कपड़े

दिन भर मेहनत के पसीने की बूँदें

तन पे रगों में दौड़ते लहू जैसे

नारी हिम्मत हस्ती का हाल बयां करते।।             


पति कैसा हो परमेश्वर जैसा नशेड़ी

भंगेड़ी शराबी कबाबी दारूबाज अय्याश

सुहाग का देवता जैसा।।            


पति से आशाएं टूटी तो बेटा अरमा उम्मीदों

का जमी आसमा।।                       

नारी कभी हार ना मानती चाहे जितने भी हो

अत्याचार लड़ती नारी कभी कमजोर

नहीं अबला नहीं ।।                     


नादान नाज़ुक कमसिन भोली नाज़ुक प्रेम

की भाषा परिभाषा ।।

कमसिन कली नाज़ो की बाग़ बागवाँ के

बाग़ की चहकती महकती फूल ।।           


घृणा द्वेष दंभ तिरस्कार की आग अंगार

विश की हाला प्याला काल कराला।।

इज़्ज़त स्वाभिमान पर मर मिटने का

जज्बा जज्बात नारी औरत औकात।।       


खेतों की हरियाली की ख़ातिर गाँव की

कर्म यौद्धा किसान देश की सीमाओं की

रक्षा में हुंकार की दहाड़ भारती जवान ।।   


सत्यमेव जयते, कर्मेव जयते ,श्रमेव जयते ,

जय मजदूर, जय जवान ,जय किसान ,

जय जवान, की आस्था हस्ती मस्ती की

आवाज़ पहचान।।     


बचपन किशोर हो प्रौढ़ वृद्ध अधेड़ हो

उम्र का कोई भी हो पड़ाव मकसद की

मर्यादा पर जीना मारना मर मिट जाना

नारी जीवन का संकल्प सत्य जीवन सार।।                 


कुनबे परिवार रिश्ते नातों में पैदा होती

बनते और बिगड़ते रिश्तों परिवार समाज

संबंधों के प्यार परवरिश में जीवन देती वार।।

हाथ में झाड़ू सुखी आँखें झुकी कमर

हाथ नारी के जीवन का दुनिया में साक्षात।।        


चाहे समाज संबंध परिवार रिश्ते नाते

राजा महाराजा हो या गरीब दुखी नारी

को ढोती मैला करती गंदगी साफ़।।          


अतिशय धन दौलत की गर्मी से हो या

गरीबी के पसीने की गंदगी कभी पतित पावनी

गंगा कभी बैतरणी की गाय अर्ध नारिस्वर सी

धरणी।।          


पृथ्वी, वसुंधरा धरा दूषित प्रदूषित कचड़ा को

स्वच्छ करती दे रही दुनिया को सन्देश 

मैं बूढ़ी नारी अपनी छमता में कर रही हूं प्रयास

स्वच्छ अवनि हो स्वच्छ हो अम्बर आकाश ।।             


स्वच्छ स्वस्थ हो बच्चे स्वस्थ स्वच्छ हो राष्ट्र समाज।।

ना कोई बीमारी हो घर में खुशहाली हो

आने वाली नस्ले सुखी स्वस्थ हो

हम पर करे अभिमान।।       


मैं अनपढ़ पढ़ ना सकी फिर भी दुनिया में

जो कर सकती कर रही हूँ पर्यावरण को

प्रदूषण मुक्त करने का बूढ़ी हड्डियों के

लम्हा लम्हा चल रही हूँ ।।         


मेरी बूढ़ी हड्डियाँ चिल्ला चीख कर जहाँ में

गूँज अनुगूँज पैदा करने की कोशिश कर रही है

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ स्वच्छ राष्ट्र समाज

स्वस्थ राष्ट्र समाज सुखी समृद्ध मजबूत राष्ट्र समाज ।।


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