अस्तित्व
अस्तित्व
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मैंने जब भी सूना है...
की ईश्वर है,
मन की आशाओ ने
कुछ और जिया है,
हर एक इंसान में महसूस किया है
किसी अनजान अस्तित्व को,
बातो में निकलती दुवाओ में ,कभी
माँ की हथेलियों में, पापा के मशवरों में,
भाई के राखी बंधे हाथों मे,
बहन की झाप्पियों में, भाभी की बातों में
दोस्तों की महफ़िलों में, प्यारभरे उन लम्हों में
किसी की मुस्कानों में,
किसी की आँखों के दर्द में...
कुदरत की बनायी सभी रचनाए....
कर रही हे प्रेरित, उस अस्तित्व की
उष्मा को अपने अंदर
सहेजकर एक ओर....
नया जीवन जीने की तमन्ना को
जीवित कर लेती हूंँ।
