अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया
अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया
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तुम्हारा साथ न छोड़ कर कुड़ को संबाला
कदम कदम में जीना सिखा है
तुम्हारी दुख में कुढ़ का दुख दूर किया है
अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया है।
तेरी हँसी में खुद की मुस्कान पाई है
तेरा खंड बन कर खुद को संबाला
तुझे खोने के दार से खुद को दार पाया
फिर भी ये अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया है।
अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया
रात का अंधेरा तारों से सजया
दिन की रोशनी में खुद को कोया हे
आँसू छिपाकर जी बार हँस लिया है
बस ये अहसान तुझ पर नहीं खुद पर किया है।