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अग्नि परीक्षा

अग्नि परीक्षा

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ये जो सुराख का शरीर है 
जब नर्म ये सांसें तुम्हारी 
इसे पूरा करने को आती हैं
तो गवाह है ये तापी की लपट
की उस छुअन में भी 
इक इम्तेहान का आगाज़ होता है
कि ये कायनात सरपरस्त है ख्वाहिशों की 
आज भी.. आज भी..


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