अब फ़र्क़ नहीं पड़ता
अब फ़र्क़ नहीं पड़ता
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जब मन आओ
बात करो और फिर चले जाओ,
जब मन आओ
बात करो और फिर चले जाओ।
ऐसे ही तड़पोगे तुम भी कभी
ऐसे ही तड़पोगे तुम भी कभी
मेरे लिए नहीं किसी और के लिए सही,
तब याद आएगी तुम्हें तुम्हारी बेवफाई
तब याद आएगी तुम्हें तुम्हारी बेवफाई।
तड़प कर तब तुम ढूंढोगे तन्हाई
और तुम्हें तुम्हारी परछाई भी नहीं देगी दिखाई।