आँखें ज्यों कमान
आँखें ज्यों कमान

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आँखें ज्यों कमान, नजरें तीर
ये मस्त लीले रंग बरसाए कैसे
तन के साथ साथ अंतरंग के
रीते तार भी रिसे-भीगे जैसे
मनभावन सी लाग लपेट
कपटी ये सोच बहकी कैसे
छले सताए, फिर भी रिझाये
साँवल रास-लीला रचाये जैसे
तन-छुअन, छूटे दिल के पीर
मन सिहरा, बाँवरा हुआ कैसे
घनघोर घटाऐं, बिरसा सावन
तड़पे बिजली कौंधी आए जैसे
आँखें कमान, नज़रे तीर..
नज़रे-तीर, अंतरंग, रीते-तार, रिसे-भीगे,
लग-लपेट, मनभावन, रास-लीला, तन-छुअन,
बहकी, सिहरा