आंखे मन का प्रतिबिंब
आंखे मन का प्रतिबिंब
बेशक, बेशकीमती ,अनमोल हैं आंखें!
जिंदगी के हर सफर की हमराज़ हैं, आंखें
कुदरत की खूबसूरत इनायत हैं ,आंखें
खामोश रहकर भी चंचल कहानी हैं, आंखें
संस्कृति -संस्कारों का दर्पण हैं ,आंखें
हमारी कुल मर्यादा का दर्पण हैं, आंखें
बेशक, बेशकीमती, अनमोल हैं ,आंखें
कभी करुणा, कभी गुस्सा, कभी खिलखिलाहट
मन के हर भाव का, बेदाग प्रतिबिंब हैंं आंखें
हमारे दुख संताप, बेबसी का प्याला हैंं आंखें
व्यथा करुणा के निर्झर सागर सी, आंखें
हमारी सोच और भावना का प्रतीक हैं ,आंखें
कितनी मासूम निश्चल, भक्ति के तेज सी, आंखें
बेशक, बेशकीमती, अनमोल हैं ,आंखें।
