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Anupama Yadav

Others

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Anupama Yadav

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आईना

आईना

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समन्दर है जिन्दगी, लहरें उठती गिरती रहेंगी

अच्छा बुरा सब गुजर जाएगा, वक्त कभी ठहरा तो नहीं है।

सब भूल बैठे अब, हावी है भूख पैसे की

कैसे सिखायी जाए, इंसानियत कोई ककहरा तो नहीं है।


आज ठोकर खायी है पर, उठेंगे संभलकर चलेंगे भी       

जिसे वक्त भर न पाये, कोई जख्म इतना गहरा तो नहीं है ।

उंगली उठे किसी के चरित्र पर, तो मौन ही रहते हैं,

बेशक कर दे अनसुना, पर कोई बहरा तो नहीं है।


मिन्नतें अब क्यों करें, जिसे जाना है जाए बेशक,

इतना तो तजुर्बा है, कोई रोकने से रुका तो नहीं है।


वक्त बेवक्त पल भर हँसाएगी, बेइंतहा रुलाएंगी,

कैसे रोक पाओगे यादों पर, किसी का पहरा तो नहीं है।



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