सगुणाची सेज निर्गुणाची बाज । सांवळी विराजे कृष्ण-मूर्ति ॥१॥ सगुणाची सेज निर्गुणाची बाज । सांवळी विराजे कृष्ण-मूर्ति ॥१॥
जी करता है उसकी आँचल मे सो जाऊं, उसे छूकर मै भी सितल हो जाऊ। सावन सी हरियाली जिसकी, सेवा करत... जी करता है उसकी आँचल मे सो जाऊं, उसे छूकर मै भी सितल हो जाऊ। सावन सी हरिया...