बारिश
बारिश
यूं रुक रुक कर बरसना ,
फिर बरस कर कहीं थम जाना ,
एक ओर पानी मीठा सा,
एक ओर आकाश नीला सा,
सब बह जाता है बारिश में,
कुछ रह जाता है उम्मीद का नया घर फिर आखों में,
कहीं फिर फूलों पर मोती जैसा ,
पानी आजकल महंगा हुआ नोट जैसा,
हम कदर से बेकदर हैं,
बारिश की कुछ बूँदें उदासी को भिगो गयी,
कुछ कान में उदासी के मीठा सा कह गयी!