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सज रहा वेदनाओं का बाजार है। आदमी मुस्कराने से लाचार है। सज रहा वेदनाओं का बाजार है। आदमी मुस्कराने से लाचार है।
मैं जागता हूँ आजकल रात भर तुम्हें भुलाने के लिए तुम्हें भुलाने के लिए...। मैं जागता हूँ आजकल रात भर तुम्हें भुलाने के लिए तुम्हें भुलाने के लिए...।
आज है कदमों में जो अपने कामयाबी , हुई थी जो कभी अपनी भी वो हार भूल बैठे हैं आज है कदमों में जो अपने कामयाबी , हुई थी जो कभी अपनी भी वो हार भूल बैठे हैं