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मै चाहती हूं तुम मुझे चुनो ऐसे,जैसे चुनते हैं बचपन के उस खेल में बड़ी उंगली! मै चाहती हूं तुम मुझे चुनो ऐसे,जैसे चुनते हैं बचपन के उस खेल में बड़ी उंगली!
मैं ही हलाहल, सोम मैं। मैं ही संयम, मैं ही काम, मैं ही रावण, मैं ही राम।। मैं ही हलाहल, सोम मैं। मैं ही संयम, मैं ही काम, मैं ही रावण, मैं ही राम।।