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था जैसे मैं एक धूल का कोई कण जीवन मेरा इस ज़मीन सा कठोर कुचल के मुझे बढ़ता रहा हर छन आ था जैसे मैं एक धूल का कोई कण जीवन मेरा इस ज़मीन सा कठोर कुचल के मुझे बढ़ता र...
डरता न था वो कुछ बोलने से पहले डरता न था वो कुछ बोलने से पहले
सब देख सोच में पड़ता गया की कमाई दौलत पर गंवाया क्या कुछ सब देख सोच में पड़ता गया की कमाई दौलत पर गंवाया क्या कुछ
चार दिन की ज़िन्दगी है मेरी चार चाँद इसमें मैं ही लगाऊंगा चार दिन की ज़िन्दगी है मेरी चार चाँद इसमें मैं ही लगाऊंगा