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मैं कहीं खो न जाऊँ जाने क्यों मुझे यह डर सा लगता है मैं कहीं खो न जाऊँ जाने क्यों मुझे यह डर सा लगता है
आओ होली के रंगों में रंग जाएं ऊँच-नीच, भेद-भाव को भूल कर! आओ होली के रंगों में रंग जाएं ऊँच-नीच, भेद-भाव को भूल कर!
आँखें खुलीं तो ऊँ आँ की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी थी आँखें खुलीं तो ऊँ आँ की आवाज़ मेरे कानों में पड़ी थी