ज़िन्दगी ने बहुत कुछ दिखाया है वो भी बहुत ही कच्ची उम्र में, अब जब मैंने अपने आपको उस तूफ़ानी समंदर के लहरों से निकाल लाया है, और खुद को सम्हाल लिया है तो अब मै ज़िन्दगी को बहुत कुछ दिखाना चाहती हूं, मै उड़ना चाहती हूं, वो भी बिना पंख के, मै दौड़ना चाहती हूं वो भी भीड़ में सबको पीछे धकेलते हुए,... Read more
ज़िन्दगी ने बहुत कुछ दिखाया है वो भी बहुत ही कच्ची उम्र में, अब जब मैंने अपने आपको उस तूफ़ानी समंदर के लहरों से निकाल लाया है, और खुद को सम्हाल लिया है तो अब मै ज़िन्दगी को बहुत कुछ दिखाना चाहती हूं, मै उड़ना चाहती हूं, वो भी बिना पंख के, मै दौड़ना चाहती हूं वो भी भीड़ में सबको पीछे धकेलते हुए, मै जीना चाहती हूं, और मै जितना चाहती हूं वो सब जो मेरी हाथ की रेखाओं में नहीं है लेकिन मै उसे जीत कर लाऊंगी ये मेरा विश्वास है। ये अंबिका दूबे का विश्वास है। Read less