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बहुत सोचा, बहुत चाहा, मगर हो नही पाया! ए माँ...तेरा वजूद, मेरी कलम से, सिमट न पाया!! बहुत सोचा, बहुत चाहा, मगर हो नही पाया! ए माँ...तेरा वजूद, मेरी कलम से, सिमट ...
यूँ तो उम्र का हर दौर अच्छा लगता है। पर मुझे बचपन सबसे अच्छा लगता है।। यूँ तो उम्र का हर दौर अच्छा लगता है। पर मुझे बचपन सबसे अच्छा लगता है।।
वो दिन भी बड़े याद आते हैं ! जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !! वो दिन भी बड़े याद आते हैं ! जिन्हें बिता के हम बड़े हो जाते हैं !!
आओ आज से, अभी से करें एक आगाज़, इंसा को इंसा होने का दिलाए एहसास...! आओ आज से, अभी से करें एक आगाज़, इंसा को इंसा होने का दिलाए एहसास...!