I'm ashant and I love to read StoryMirror contents.
खुद को पूरा करने की कोशिश अधूरी रह गयी। खुद को पूरा करने की कोशिश अधूरी रह गयी।
मैं जिंदा हूँ अभी कल के सूरज को आवाज़ लगा के देखता हूँ अभी...! मैं जिंदा हूँ अभी कल के सूरज को आवाज़ लगा के देखता हूँ अभी...!
बदल रहे है लिखने वाले हाथ, बेबाक बोलती जुबाँ बदल रहे है लिखने वाले हाथ, बेबाक बोलती जुबाँ
खुद को ही झूठे उम्मीदों पे रखते हो 'बंद मुठ्ठी लाख की' यही तो कहते हो। खुद को ही झूठे उम्मीदों पे रखते हो 'बंद मुठ्ठी लाख की' यही तो कहते हो।