स्वतन्त्र लेखन , कविता , कहानी , थोटस आदि ।
खुद को मज़बूत कहने वाले , अहंकारी पुरूष कभी पल भर ठहर कर सोचा है ? खुद को मज़बूत कहने वाले , अहंकारी पुरूष कभी पल भर ठहर कर सोचा है ?
रुक जा कुछ पल साथ चलने के लिये, इतना ही काफ़ी है। रुक जा कुछ पल साथ चलने के लिये, इतना ही काफ़ी है।
यादें हैं इक हसीं ख्वाब की, पल पल कभी हर पल मुस्कुराएगी ! यादें हैं इक हसीं ख्वाब की, पल पल कभी हर पल मुस्कुराएगी !
स्वच्छंद, उन्मुक्त हँसी हूँ या पंछी, उड़ती बादलों के उस पार हूँ। या फिर बस हूँ एक सवाल मैं, मैं आ... स्वच्छंद, उन्मुक्त हँसी हूँ या पंछी, उड़ती बादलों के उस पार हूँ। या फिर बस हू...