स्वच्छंद।
नहीं सम्भाल सकती हैं वे तो संवरने के बाद अपने बाल। नहीं सम्भाल सकती हैं वे तो संवरने के बाद अपने बाल।
'उसे याद है चांट के पत्ते और मेले की जलेबी, कंचो की लकीरें, गुल्ली डंडा के गड्ढे।' अखाड़े की कुश्ती,... 'उसे याद है चांट के पत्ते और मेले की जलेबी, कंचो की लकीरें, गुल्ली डंडा के गड्ढे...
मैं अपने कदमों से दूसरों को पैरों पर खड़ा करूंगा। मैं अपने कदमों से दूसरों को पैरों पर खड़ा करूंगा।