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तुझे ढुढ़ने जो निकली, मेरी कविता, सिरहाने रखती थी , तुम वहाँ तो न निकली। तुझे ढुढ़ने जो निकली, मेरी कविता, सिरहाने रखती थी , तुम वहाँ तो न निकली।
किसी ने बलिदान कर दिया तो किसी ने दान। किसी ने बलिदान कर दिया तो किसी ने दान।
सोचा था भूल गये होगे मसरुफियत मे, अचरज तुम्हें, अब भी सब याद था। सोचा था भूल गये होगे मसरुफियत मे, अचरज तुम्हें, अब भी सब याद था।