कवि नहीं मैं, दिल का हाल लिखती हूं| तंग हु उर्दू में जरा, तो सरल हिंदी में ही अपनी बात लिखती हु। कुछ किस्से अपने तो कुछ किस्सों में दुनिया के जज़्बात लिखती हु। बस खाली वक़्त में अपने अंदर का गुम्मार लिखती हु।
कैसे रंग दिखलाएगा ! ना जाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा। कैसे रंग दिखलाएगा ! ना जाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा।
ये साल 2020, ना ज़ाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा ना जाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा ये साल 2020, ना ज़ाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा ना जाने कैसे कैसे रंग दिखलाएगा
ये अंधेरी रात है जनाब, सबको बड़ा सताती है। ये अंधेरी रात है जनाब, सबको बड़ा सताती है।
ये कविता समाज में महिला व् पुरुष के बीच जो भेदभाव होता है, उसपर लिखी हुई है। उम्मीद करती हु आपको पसद... ये कविता समाज में महिला व् पुरुष के बीच जो भेदभाव होता है, उसपर लिखी हुई है। उम्...