कवि नहीं मैं, दिल का हाल लिखती हूं| तंग हु उर्दू में जरा, तो सरल हिंदी में ही अपनी बात लिखती हु। कुछ किस्से अपने तो कुछ किस्सों में दुनिया के जज़्बात लिखती हु। बस खाली वक़्त में अपने अंदर का गुम्मार लिखती हु।
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