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'पहले जब हम मिला करते थे, साथ बैठ चाय पिया करते थे, कास कि तभी बोल दिया होता, तो आज तुझे खोने का भय ... 'पहले जब हम मिला करते थे, साथ बैठ चाय पिया करते थे, कास कि तभी बोल दिया होता, तो...
कहती जो भी में कह रही उसका सार है, आज हमे इसी चीज का आभार है | कहती जो भी में कह रही उसका सार है, आज हमे इसी चीज का आभार है |
वक्त रहते ही, मोड़ दूँ अपने रास्ते, दुनिया को छोड़, अपने परिवार के वास्ते...! वक्त रहते ही, मोड़ दूँ अपने रास्ते, दुनिया को छोड़, अपने परिवार के वास्ते...!