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कुछ शांति के बाद फिर से कमरे मे हँसी की आवाजें गूँज उठी। कुछ शांति के बाद फिर से कमरे मे हँसी की आवाजें गूँज उठी।
बिना मुड़े इतना कहकर शर्मिला बस स्टैंड की तरफ तेजी से निकल गयी। बिना मुड़े इतना कहकर शर्मिला बस स्टैंड की तरफ तेजी से निकल गयी।
तभी समाज का पहिया तेजी से दौड़ सकेगा। स्वयं विचारियेगा। तभी समाज का पहिया तेजी से दौड़ सकेगा। स्वयं विचारियेगा।
अन्त नही एक नई शुरुआत अन्त नही एक नई शुरुआत