क्या लिखूँ मैं खुद के बारें में। बस वो सब उकेर देता हूँ अपनी कृतियों में जो मेरे मानस-पटल की लहरों में हिलोरे ले रही होती हैं।
गर्मियां प्रतीक है विनाश और सृजन का। गर्मियां प्रतीक है विनाश और सृजन का।
मैं खामोश हूँ...तो बस ये सोचकर कि अंत में सब अच्छा होगा। मैं खामोश हूँ...तो बस ये सोचकर कि अंत में सब अच्छा होगा।
प्यार आज भी है, उनको हमसे और हमको उनसे प्यार आज भी है, उनको हमसे और हमको उनसे